हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! नैंन नसीली पलकें हों झुकी, उन आँखों मे शामिल मिली झील, तितलीयों सी मड़राती भौं, आँखों में दिन रात सी ढलती पलकें, हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! लबों में शामिल हों मुस्कान, उन होंठों में मिली गुलाब सी चाहत, ओ चाहत में थी हल्की सी मोहब्बत, मोहब्बत के पार तो था बस एक विश्वास, हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! कानों में लड़खाड़ती हों बाली, बालीं से झगड़ती यें फिज़ायें, फ़िज़ओ से मिली घटायें, हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! हाँ प्यार करता हूँ ना मैं बालें लटकती हों वट सी लट, वो लटों में शामिल हों लेस, उन केस को समेटती हमेशा वो पट्टी, जिसमें सदैव बालें रहती हैं लिपटी, हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! हाँ प्यार करता हूँ ना मैं कुतुम्ब सी गर्दन मे हैं चंद्रमा की लाकेट, उस लाकेट मे थी हमारी मन्ते, ये मन्ते ले आया था नज्मों कि नगरीयोँ से, वो हर नगरी थी दसों दिशाओं पे, हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! 🙏✍️Writer L.B. MP 53✍️🙏