माँ दिवस
हर माँ की मन्नत होती मेरा इब्न हर बुलंदी को छुए बिना किसी बिरुध्द हर वक्त देखे बटुआ करे ना ख्वहिशों का नाश हर फ़ुवाद ब फ़हम से देती अहसासो़ का आदेश हर माँ करे साजदा-ऐ-ईबादत देख सके निकाह शादी कि रखती चाहत बची उम्र में खीला खेला सके कि करती मांग किसी माँ का दिल ना दुःखाना ऐ इन्सान